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Showing posts from 2018
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जिम्मेदारियाँ मजबूर कर देती हैं, अपना शहर छोड़ने को वरना कौन अपनी गली में जीना नहीं चाहता
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નમતી ડાલ ને ઐમજ વાઢી નાખી, પછી છાંયડા ની ખોજ મા “જિંદગી” કાઢી નાખી !
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जीवन में इतना संघर्ष तो कर ही लेना की अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये किसी दूसरे का द्रष्टांत ना बताना पड़े ।
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बीते कल का अफ़सोस और आने वाले कल की चिंता ,ये दो ऐसे चोर हैं जो आपकी ख़ुशियाँ चुरा लेते हैं।
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एक आशियाना ऐसा भी बनाऊँ , अगर जिम्मेदारियाँ ख़ुद के लिए जीने की इजाज़त दे , यूँ तो वक़्त हमारे पास भी कम हैं।
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हो सकता हैं कि आप 18वर्ष की उम्र में ग़रीब हो तो इसमें आपकी कोई ग़लती नहि हैं ,मगर 38 वर्ष की उम्र में भी आप ग़रीब हो तो इसमें आपकी ही ग़लती हैं|
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मृत्यु के बाद भी यदि आप अपने सपनों को ज़िन्दा रखना चाहते हो तो ज़रूर नेत्रदान करे ।
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विनम्रता बिना स्वाभिमान का कोई अस्तित्व नहीं ।
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कितना हो गया EG ? फिर भी क्यों में इतना BG ?
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सातों दिन सोमवार क्या शनि क्या मंगल ,जिस दिन देर तक सोया भूखा रहा फ़क़ीर |
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पहुँचना ही होता मंज़िल पर तो कब का पहुँच गया होता ,मगर सबका साथ छोड़कर आगे बढ़ना शायद ये कभी स्वभाव में ही नहीं था ।
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यदि परिस्थितियों पर आपकी मज़बूत पकड़ हैं ,तो ज़हर उगलने वाले भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।
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Experience — अनुभव कहता हैं ख़ामोशियाँ ही बेहतर हैं,शब्दों से अक्सर लोग रूठ जाते हैं।
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