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Showing posts from October, 2018
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जिम्मेदारियाँ मजबूर कर देती हैं, अपना शहर छोड़ने को वरना कौन अपनी गली में जीना नहीं चाहता
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નમતી ડાલ ને ઐમજ વાઢી નાખી, પછી છાંયડા ની ખોજ મા “જિંદગી” કાઢી નાખી !
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जीवन में इतना संघर्ष तो कर ही लेना की अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिये किसी दूसरे का द्रष्टांत ना बताना पड़े ।
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बीते कल का अफ़सोस और आने वाले कल की चिंता ,ये दो ऐसे चोर हैं जो आपकी ख़ुशियाँ चुरा लेते हैं।
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एक आशियाना ऐसा भी बनाऊँ , अगर जिम्मेदारियाँ ख़ुद के लिए जीने की इजाज़त दे , यूँ तो वक़्त हमारे पास भी कम हैं।
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